***~ॐ~***
*श्री गुरुवे नमः*
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४९/१२४ - दिन रात गृहस्थी के कामों में लिप्त रहने से मनुष्य के मन में बुरी भावनाएं उठती रहती हैं ।
जो धीरे धीरे हृदय में अपना हर करके सत्संग तथा महात्माओं के प्रति अरुचि पैदा कर देती है ।
- समर्थ सद्गुरु श्री श्री भवानी शंकर जी महाराज (पूज्य चच्चा जी), उरई ।
ॐ शांति शांति शांति।
🌹🌹🌹🌹🌹 * *पूज्य गुरुदेव हम सब पर कृपा करे।
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