***~ॐ~***
*श्री गुरुवे नमः*
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४४/१२४ - निस्वार्थता से ही समाज, जाति, कुटुम्भ आदि जीवित और कायम रह सकते हैं । निस्वार्थ सेवा करने के लिए सदाचार की बहुत आवश्यकता है, जो बिना ईश्वर भजन के कदापि संभव नहीं ।
- समर्थ सद्गुरु श्री श्री भवानी शंकर जी महाराज (पूज्य चच्चा जी), उरई ।
ॐ शांति शांति शांति।
🌹🌹🌹🌹🌹 * *पूज्य गुरुदेव हम सब पर कृपा करे।
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