***~ॐ~***
*श्री गुरुवे नमः*
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५७/१२४ - नित्य प्रति किसी निश्चित समय पर बचपन से अब तक के जीवन की मानसिक परिक्रमा करने पर मनुष्य वैराग्य रुपी आश्रय पाकर श्री भगवान् के कमल स्वरूपी चरणों में ढृढ़ता के साथ प्रेम करने लगता है ।
- समर्थ सद्गुरु श्री श्री भवानी शंकर जी महाराज (पूज्य चच्चा जी), उरई ।
पूज्य गुरुदेव हम सब पर कृपा करे।
ॐ शांति शांति शांति।
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