***~ॐ~***
*श्री गुरुवे नमः*
*- - - -*
५३/१२४ - सज्जनों की सांगत से कभी दूर न होना चाहिए, विनयपूर्वक उनका सम्मान करना चाहिए । सज्जन के ह्रदय-कमल की रज फैलकर शीघ्र ही उसके पास बैठने वाले के सब पाप नष्ट कर देती है ।
- समर्थ सद्गुरु श्री श्री भवानी शंकर जी महाराज (पूज्य चच्चा जी), उरई ।
पूज्य गुरुदेव हम सब पर कृपा करे।
ॐ शांति शांति शांति।
🌹🌹🌹🌹🌹 * *
No comments:
Post a Comment