***~ॐ~***
*श्री गुरुवे नमः*
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४१/१२४ - स्वार्थवश स्वधर्म तथा लज्जा का त्याग न करना चाहिए । कुत्सित कर्मों का त्याग करना ही लज्जा है । लेकिन लज्जा ही लज्जा नहीं है ।
- समर्थ सद्गुरु श्री श्री भवानी शंकर जी महाराज (पूज्य चच्चा जी), उरई ।
ॐ शांति शांति शांति।
🌹🌹🌹🌹🌹 * *पूज्य गुरुदेव हम सब पर कृपा करे।
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