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Friday, 30 September 2016

(भाग ६०/१२४) - "कर्त्तव्य पालन अवं सदाचार"


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🌻***~ॐ~***🌻
🌻*श्री गुरुवे नमः*🌻
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६०/१२४ प्रत्येक  मनुष्य को कुछ उपयोगी कार्य नित्य प्रति अवश्य करते रहना चाहिए । बेकार रहने से मनुष्य दूसरों के अवगुण और दोषों को देखते रहने का अभ्यासी बन जाता है जिसके कारण वह स्वयं दोषी व दुराचारी बन जाता है । 
 
ऐसे मनुष्यो को प्रायश्चित का साधन करते हुए अपने कल्याण तथा उध्दार के लिए श्री भगवान् की उपासना तथा सत्संग नित्य प्रति अवश्य करते रहना चाहिए ।

- समर्थ सद्गुरु श्री श्री भवानी शंकर जी महाराज (पूज्य चच्चा जी), उरई । 

🌻*🌷*पूज्य गुरुदेव हम सब पर कृपा करे।
🌻🌻🌻 ॐ शांति शांति शांति।
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Thursday, 29 September 2016

(भाग ५९/१२४) - "कर्त्तव्य पालन अवं सदाचार"


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🌻***~ॐ~***🌻
🌻*श्री गुरुवे नमः*🌻
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५९/१२४ - परिवार वालों से प्रेम करना ईश्वरीय प्रेम करने का सरल व सुगम साधन है । जिसने अपने परिवार वालों से प्रेम नहीं किया वह प्रेम प्राप्त कष्ट व दुखों का अनुभव न  होने के कारण प्रेम के रहस्य से वंचित रहता है ।

- समर्थ सद्गुरु श्री श्री भवानी शंकर जी महाराज (पूज्य चच्चा जी), उरई । 

🌻*🌷*पूज्य गुरुदेव हम सब पर कृपा करे।
🌻🌻🌻 ॐ शांति शांति शांति।
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Wednesday, 28 September 2016

(भाग ५८/१२४) - "कर्त्तव्य पालन अवं सदाचार"


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🌻***~ॐ~***🌻
🌻*श्री गुरुवे नमः*🌻
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५८/१२४ सत्संग से बढ़कर मनुष्य के कल्याण के लिए और कोई उत्तम वास्तु नहीं है । सत्संग से ज्ञान होने पर माया  दुखदायी के बदले सुखदाई हो जाती है । भगवान् के भक्त माया के अधीन नहीं होते , किन्तु माया स्वयं उनके सामने सेवा करने के लिए हाथ जोड़े खड़ी रहती है । परंतु श्री भगवान् के भक्तों को उसकी ओर देखने का अवकाश ही नहीं । 

- समर्थ सद्गुरु श्री श्री भवानी शंकर जी महाराज (पूज्य चच्चा जी), उरई । 

🌻*🌷*पूज्य गुरुदेव हम सब पर कृपा करे।
🌻🌻🌻 ॐ शांति शांति शांति।
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Tuesday, 27 September 2016

(भाग ५७/१२४) - "कर्त्तव्य पालन अवं सदाचार"


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🌻***~ॐ~***🌻
🌻*श्री गुरुवे नमः*🌻
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५७/१२४ नित्य प्रति किसी निश्चित समय  पर बचपन से अब तक के जीवन की मानसिक परिक्रमा करने पर मनुष्य वैराग्य रुपी आश्रय पाकर श्री भगवान् के कमल स्वरूपी चरणों में ढृढ़ता के साथ प्रेम करने  लगता है । 

- समर्थ सद्गुरु श्री श्री भवानी शंकर जी महाराज (पूज्य चच्चा जी), उरई । 

🌻*🌷*पूज्य गुरुदेव हम सब पर कृपा करे।
🌻🌻🌻 ॐ शांति शांति शांति।
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Monday, 26 September 2016

(भाग ५६/१२४) - "कर्त्तव्य पालन अवं सदाचार"


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🌻*श्री गुरुवे नमः*🌻
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५६/१२४ किसी काम की सफलता  लिए दिन रात उधेड़बुन में रहने तथा चिंता करने से मानसिक तथा शारीरिक शक्ति नष्ट हो जाती है । इसलिए चिंता छोड़कर ईश्वर पर विश्वास करके उसकी सफलता के लिए यथा संभव प्रयत्न करना प्रत्येक मनुष्य का धर्म है। 
 

- समर्थ सद्गुरु श्री श्री भवानी शंकर जी महाराज (पूज्य चच्चा जी), उरई । 
 

🌻*🌷*पूज्य गुरुदेव हम सब पर कृपा करे।
🌻🌻🌻 ॐ शांति शांति शांति।
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Sunday, 25 September 2016

(भाग ५५/१२४) - "कर्त्तव्य पालन अवं सदाचार"


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🌻*श्री गुरुवे नमः*🌻
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५५/१२४ किसी की सीधाई का खून करके उसका लाभ उठाना, उसके साथ विश्वासघात करना है । क्योंकि किसीकी सरलता से लाभ उठाना उसको धोखा देना है । 
 

- समर्थ सद्गुरु श्री श्री भवानी शंकर जी महाराज (पूज्य चच्चा जी), उरई । 

🌻*🌷*पूज्य गुरुदेव हम सब पर कृपा करे।
🌻🌻🌻 ॐ शांति शांति शांति।
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Saturday, 24 September 2016

(भाग ५४/१२४) - "कर्त्तव्य पालन अवं सदाचार"


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🌻*श्री गुरुवे नमः*🌻
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५४/१२४ श्री भगवान के भक्तों में दया और पवित्रता उसी तरह रहती है - जैसे फूल में गंध वास करती है । 

- समर्थ सद्गुरु श्री श्री भवानी शंकर जी महाराज (पूज्य चच्चा जी), उरई । 

🌻*🌷*पूज्य गुरुदेव हम सब पर कृपा करे।
🌻🌻🌻 ॐ शांति शांति शांति।
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Friday, 23 September 2016

(भाग ५३/१२४) - "कर्त्तव्य पालन अवं सदाचार"


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🌻*श्री गुरुवे नमः*🌻
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५३/१२४ सज्जनों की सांगत से कभी दूर न होना चाहिए, विनयपूर्वक उनका सम्मान करना चाहिए । सज्जन के ह्रदय-कमल की रज फैलकर शीघ्र ही उसके पास बैठने वाले के सब पाप नष्ट कर देती है । 

- समर्थ सद्गुरु श्री श्री भवानी शंकर जी महाराज (पूज्य चच्चा जी), उरई । 

🌻*🌷*पूज्य गुरुदेव हम सब पर कृपा करे।
🌻🌻🌻 ॐ शांति शांति शांति।
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