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Saturday, 4 November 2017

परम् पूज्य चच्चा जी महाराज ने इस कदर आध्यात्मिक सेवा का व्रत लिया कि उनका लाभ लेने के यह आवश्यक नही था कि व्यक्ति भौतिक रूप से उनके सम्पर्क में आये और दर्शन करे तभी लाभ मिलेगा ।

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🌻***~ॐ~***🌻
🌻*श्री गुरुवे नमः*🌻
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🌻"परम् पूज्य गुरुदेव श्री चच्चा जी महाराज के जीवन चरित एवम् आध्यात्मिक कार्य प्रणाली पर आधारित 'श्री चच्चा चरितम्'(चालीसा) की कुछ चौपाइया पुनः प्रस्तुत है--
🌷"कैसहु प्रभु के जानन हारे,
कृपा अहैतुक पावन हारे।
निज जन अजहूँ उन्हें अति प्यारे,
बिगरी अबहु बनावन हारे।
निज कह भाव से बाँधन हारे,
सुमिरत ही प्रभु साथ हमारे।

🌻परम् पूज्य चच्चा जी महाराज ने इस कदर आध्यात्मिक सेवा का व्रत लिया कि उनका लाभ लेने के यह आवश्यक नही था कि व्यक्ति भौतिक रूप से उनके सम्पर्क में आये और दर्शन करे तभी लाभ मिलेगा ।

ऐसा नही है केवल चर्चा में ही किसी ने चच्चा जी को सुना और अप्रत्यक्ष रूप से ही उसके मन में श्रद्धा हो गयी तो उसने भी अगर मुसीबत के समय याद किया तो चच्चा जी महाराज उसकी भी मुसीबत हल करने के लिए दौड़ पड़े ,ऐसे अनेक उदाहरण है।
ये एक बहुत बड़ी विलक्षणता थी कि इतने से भी सम्पर्क पर उनसे आध्यात्मिक शक्ति का सञ्चालित होना ये दिखाता है कि वे आध्यात्मिक शक्ति महासागर थे कि जहाँ जरा भी भाव की हलचल हुई उनकी शक्ति ने कार्य करना आरम्भ कर दिया।सबको कृपा मिली चाहे उन्हें जैसे जाना और समझा हो।

जब चच्चा जी महाराज का शरीर छूट गया तब भक्तो के मन में यह विचार आया अब हमारी समस्या कौन सुनेगा कौन हमे मुसीबत से बचाएगा जो स्वभाविक था लेकिन वास्तव में ऐसी बात नही थी।

चच्चा जी महाराज के यहाँ तो केवल भाव का खेल था जो अपने ख्याल में श्रद्धा भाव से उन्हें ले आया उसने लाभ उठाया।जब वे शरीर धारण किये थे उस समय उन्हें जितने अपने भक्त प्यारे थे उतने ही आज भी उन्हें अपने भक्त प्यारे है और आज भी सबकी बिगड़ी बनाते है बल्कि अब और प्रभावशाली ढंग से बिगड़ी बनाते है क्योकि तब तो शरीर की कुछ न कुछ सीमाये अवश्य रही होंगी ,अब तो वे सीमाये भी नही है।"🌻
🌻*🌷परम् पूज्य गुरुदेव सब पर कृपा करे।🌷*🌻
🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻(क्रमशः)🌻🌻🌻🌻🌻

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