
















इस मार्ग की विशेषता है कि इस मार्ग पर आगे चलकर सब एक हो जाते है।
अतः यदि हम किसी एक को गुरु मानकर उन पर पूर्ण समर्पित भाव से उनके हो जाते है तो उनके गुरु और उनसे सम्बंधित इस मार्ग के सभी सन्तों की कृपा हमारे ऊपर स्वतः बरसने लगती है।अंततः सभी कड़िया ऊपर जाकर तो एक ही परमसत्ता में विलीन हो जाती है।
अतः थोड़े से प्रयास और लगन से जब हम इश्वरोन्मुख होते है तो हमारे करोड़ो जन्मों के पापो का नाश हो जाता है और हम इस संसार के आवागमन से मुक्त हो सकते है –

जन्म कोटि अघ नासहिं तबही।"



















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