
















गुरु कृपा कभी व्यर्थ नही जाती।अनवरत रूप से प्रयास करते रहना चाहिए।प्रायः लोग यह सोचने लगते है कि इतने दिन से हम अभ्यास वगैरह कर रहे पर फायदा नही हो रहा।साधक को मन परेशान कर पथ से अलग करने की कोशिश करता है।
ऐसे समय पर प्रत्येक साधक को धैर्य के साथ अपना अभ्यास एवम् गुरुदेव पर निष्ठा बनाये रखना चाहिए।
गुरुदेव के अमृत वचन जो कि अध्यात्म के मूल मन्त्र है जीवन में उतारने का प्रयास करते रहना चाहिए।एक ही दिन में सब नही हो सकता ,लेकिन थोडा थोडा भी परिवर्तन होने लगे तो बहुत है।लगातार प्रयास करने से गुरुदेव के मूल मन्त्र साधक के रोम रोम में बस जायेगे।कर्तव्य पालन और सदाचार स्वतः होने लगेगा।
अतः अपने गुरुदेव पर पूरा विश्चास रखते हुए जिस मार्ग को हमने पकड़ा है उसे मजबूती से पकड़े रहे,
गुरुदेव तो सदैव साथ है और अपनी कृपा बनाये रखे है बस साधक को उन पर भरोसा बनाये रखना है।
पूज्य गुरुदेव की कृपा सदैव सब पर वनी रहे ऐसी मेरी उनसे प्रार्थना है।"

















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