


















श्रद्धा विश्वास रुपिणौ ।
याभ्यां विना न पश्यन्ति,
सिद्धः स्वान्तः स्थमीश्वरम ।।


सद्गुरु के वचन में विश्वास हो।विषयो का संयम हो।उनकी भक्ति सञ्जीवनी जड़ी है तथा श्रद्धा पूर्ण बुद्धि है तभी इन सांसारिक तापो से मुक्ति मिल सकती है।जैसा की रामायण में कहा गया है–
"सद्गुरु वैद्य वचन विश्वासा,
सञ्जम यह न विषय के आसा।
रघुपति भगति सजीवन मुरी,
अनुपान श्रद्धा मति पूरी ।
एहि बिधि भलेहि सो रोग नसाही,
नाहि त कोटि जतन नहि जाही।"
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"सद्गुरु वैद्य वचन विश्वासा,
सञ्जम यह न विषय के आसा।
रघुपति भगति सजीवन मुरी,
अनुपान श्रद्धा मति पूरी ।
एहि बिधि भलेहि सो रोग नसाही,
नाहि त कोटि जतन नहि जाही।"



















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