🌻"परम् पूज्य पापाजी अपने परम् पूज्य गुरुदेव श्री चच्चा जी महाराज एवम् उनके गुरुदेव श्री लालाजी महाराज के ध्यान में स्थित रहते हुए साधनारत रहते थे तथा उनके स्वरूप का कुछ इस प्रकार वर्णन करते थे –
🌻"राम सरूप तुम्हार बचन अगोचर बुद्धिपर।
अबिगत अकथ अपार नेति नेति नित निगम कह।।
🌻हे राम!आपका स्वरूप वाणी के अगोचर,बुद्धि से परे,अव्यक्त,अकथनीय और अपार है।वेद निरन्तर उसका नेति नेति कहकर वर्णन करते है।अर्थात हे गुरुदेव आपके स्वरूप का वर्णन करने में शब्द मौन हो जाते है तथा बुद्धि भी आपके विराट स्वरूप को समझने में असमर्थ है।हम सब तो आपके दयालु एवम् कृपालु स्वभाव को ही जानते है।हमारे गुरुदेव भक्तवत्सल तथा शरणागत के रक्षक है वे अपने भक्तो का सदैव कल्याण करते रहेंगे।"
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