***~ॐ~***
*श्री गुरुवे नमः*
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२०/१२४ - जैसे जैसे मनुष्य के पास धन बढ़ता जाता है, वैसे वैसे उसमे सद्गुण नष्ट होते जाते हैं और वह दयाशून्य होकर कातर व दुखी आत्माओं से सीधी बात नहीं करता, उसको उनके दुःख नेत्रों से दिखाई नहीं पड़ते, उनकी दीन हीन पुकार उसको सुनाई नहीं पड़ती।
- समर्थ सद्गुरु श्री श्री भवानी शंकर जी महाराज (पूज्य चच्चा जी), उरई ।
ॐ शांति शांति शांति।
🌹🌹🌹🌹🌹 * *पूज्य गुरुदेव हम सब पर कृपा करे।
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