Like on FB

Tuesday, 24 May 2016

भाग - २ - श्री चच्चा चालीसा व्याख्या - सौजन्य व्यवहारिक आध्यात्म

🌻🌻🌻🌻🌻🌻
🌻***~ॐ~***🌻
🌻*श्री गुरुवे नमः*🌻
🌻*-🌷-🌷-🌷-*🌻
परम् पूज्य गुरुदेव श्री चच्चा जी महाराज के जीवन चरित एवम् अध्यात्म मार्ग पर लिखी हुई 'श्री चच्चा चालीसा'की चौपाइयो की व्याख्या प्रस्तुत की जा रही है। उसी श्रृंखला में आगे की चौपाइया प्रस्तुत है–


🌷🌷 

"एकहि बात रहै मति मेरी,
निज परिजन पर प्रीति घनेरी।
अतः प्रकृतिवश क्षमा वे करिहै, 
जदपि दास पर अवसि वे हसिहै।
चरित रहा जिनका अति नीका,
राम दयाल गृह जन्म गृहीता।।"


इन चौपाइयों में चालीसा के रचयिता( श्री ओम प्रकाश जी) का यह मानना है कि चच्चा जी महाराज के जीवन चरित की गूढ़ता एवम् व्यापकता को चालीस चौपाइयों में बांधना सम्भव नही है फिर भी परम् पूज्य गुरुदेव श्री चच्चा जी महाराज के ऊपर चालीसा लिखने की धृष्टता मैंने की है तो वो एक विश्वास के साथ कि अगर चालीसा लिख भी देंगे तो वे अपने स्वभाव वश,क्योकि उनका स्वभाव सबको माफ करने का था, तथा वे सबको बहुत प्रेम करते थे,चालीसा लिखने की धृष्टता कर रहा हूँ,मेरी इस धृष्टता को वे क्षमा कर देंगे हालाँकि अपने स्वभाववश थोडा हँस लेंगे कि यह क्या कर रहा है।


पूज्य चच्चा जी महाराज के पिताजी का नाम श्री रामदयाल जी था।उनको विरासत में बहुत ऊँचे संस्कार प्राप्त हुए।उनके पिता जी के बारे में यह प्रसिद्ध था कि वे जब अपने मोहल्ले के आस पास पता कर लेते थे कि सबने भोजन कर लिया है तब दोपहर बाद वे भोजन करते थे। इतने उच्च कोटि के संस्कार उन्हें विरासत में मिले थे ऐसे माता पिता पाना भी बहुत भाग्य की बात है जो चच्चा जी महाराज को ईश्वर ने प्रदान की थी।"


🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻
🌻*🌷*परम पूज्य गुरुदेव सब पर कृपा करे।
🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹(क्रमशः)******



 -  व्यवहारिक आध्यात्म  (http://www.vyavaharikaadhyatm.com/)

No comments:

Post a Comment