परम् पूज्य गुरुदेव श्री चच्चा जी महाराज की पावन स्मृति में आज से नई श्रृंखला प्रारम्भ की जा रही है जिसमे अगले कुछ दिनों तक"श्री चच्चा चालीसा" की चौपाइयों का वर्णन प्रस्तुत करने का प्रयास किया जायेगा । जिससे पूज्य गुरुदेव के भक्त एवम् जिज्ञासु लोग उनके जीवन चरित के साथ साथ उनकी आध्यात्मिक कार्य प्रणाली के बारे में जान सके और लाभान्वित हो सके।अतः श्री चच्चा चालीसा की चौपाईया व्याख्या सहित प्रस्तुत है-
"सर्वप्रथम मङ्गलाचरण तत्पश्चात चौपाइया-
"सब दोषन के नाश को,
है अति सरल उपाय।
गुरु चरनन में मन रहे ,
सब ही होय सहाय।।
मङ्गलाचरण में सर्वप्रथम सभी देवी देवताओ की वन्दना की गयी है कि सब ऐसी कृपा करे कि गुरु जी के चरणों में मन लगा रहे और एक बार गुरूजी के चरणों में मन लग गया तो फिर आगे सब कुछ अपने आप ही होता चला जायेगा।
बंदऊ चच्चा पद जलजाता ,
जेहि सुमिरत अघ सब मिट जाता।
जासु चरित समझा नहि कोई
तेहि वर्णन कहुँ केहि विधि होई।।
व्याख्या–परम् पूज्य गुरुदेव श्री चच्चा जी महाराज के चरण कमलो की वन्दना करता हूँ जिनके स्मरण मात्र से सारे पाप नष्ट हो जाते है।पूज्य चच्चा जी महाराज को कोई समझ नही सका ऐसा मेरा मत है क्योकि वे इतने बड़े सन्त थे और देखने में उतने ही साधारण व्यक्ति इसका दुर्लभ सामन्जस्य एक साधारण कोटि के मनुष्य की बुद्धि से परे था। इसलिए चच्चा जी महाराज की वास्तविक आध्यात्मिक स्थित का भान उनके करीब से करीब रहने वालो को भी शायद ही हो पाया। तो ऐसी दुर्लभ आध्यात्मिक स्थिति के स्वामी के बारे में कुछ भी लिखना शायद सम्भव ही नही क्योकि उनकी आध्यात्मिक स्थिति को तो शब्दों की परिधि में बांधा ही नही जा सकता।.......
* * परम् पूज्य गुरुदेव हम सबके अपराधो को क्षमा करते हुए हम लोगो पर अपनी कृपा दृष्टि बनाया रखे,ऐसी हम लोगो की उनसे विनम्र प्रार्थना है।
🌹(क्रमशः)
"सर्वप्रथम मङ्गलाचरण तत्पश्चात चौपाइया-
"सब दोषन के नाश को,
है अति सरल उपाय।
गुरु चरनन में मन रहे ,
सब ही होय सहाय।।
मङ्गलाचरण में सर्वप्रथम सभी देवी देवताओ की वन्दना की गयी है कि सब ऐसी कृपा करे कि गुरु जी के चरणों में मन लगा रहे और एक बार गुरूजी के चरणों में मन लग गया तो फिर आगे सब कुछ अपने आप ही होता चला जायेगा।
बंदऊ चच्चा पद जलजाता ,
जेहि सुमिरत अघ सब मिट जाता।
जासु चरित समझा नहि कोई
तेहि वर्णन कहुँ केहि विधि होई।।
व्याख्या–परम् पूज्य गुरुदेव श्री चच्चा जी महाराज के चरण कमलो की वन्दना करता हूँ जिनके स्मरण मात्र से सारे पाप नष्ट हो जाते है।पूज्य चच्चा जी महाराज को कोई समझ नही सका ऐसा मेरा मत है क्योकि वे इतने बड़े सन्त थे और देखने में उतने ही साधारण व्यक्ति इसका दुर्लभ सामन्जस्य एक साधारण कोटि के मनुष्य की बुद्धि से परे था। इसलिए चच्चा जी महाराज की वास्तविक आध्यात्मिक स्थित का भान उनके करीब से करीब रहने वालो को भी शायद ही हो पाया। तो ऐसी दुर्लभ आध्यात्मिक स्थिति के स्वामी के बारे में कुछ भी लिखना शायद सम्भव ही नही क्योकि उनकी आध्यात्मिक स्थिति को तो शब्दों की परिधि में बांधा ही नही जा सकता।.......
* * परम् पूज्य गुरुदेव हम सबके अपराधो को क्षमा करते हुए हम लोगो पर अपनी कृपा दृष्टि बनाया रखे,ऐसी हम लोगो की उनसे विनम्र प्रार्थना है।
🌹(क्रमशः)
- व्यवहारिक आध्यात्म (http://www.vyavaharikaadhyatm.com/)
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