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Saturday, 16 July 2016

भाग - १२ - श्री चच्चा चालीसा व्याख्या - सौजन्य व्यवहारिक आध्यात्म

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🌻***~ॐ~***🌻
🌻*श्री गुरुवे नमः*🌻
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परम् पूज्य गुरुदेव श्री चच्चा जी महाराज पर रचित 'श्री चच्चा चरितम्'(चालीसा) श्रंखला की आगे की चौपाई प्रस्तुत है--
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"सबके कलिमल धोवन हारे, 
सेवारत परलोक सिधारे।"


🌻🌻🌻परम् पूज्य चच्चा जी महाराज के मार्ग की सबसे बड़ी विशेषता यही है की जिस भक्त ने उन्हें भाव से याद किया तत्क्षण वे उसके साथ हुए।अपने भक्तो के साथ उन्होंने स्वयम को भाव रूपी जंजीरो के बन्धन में जकड़ रखा है।जब भी कोई भक्त उन्हें भाव से याद करेगा तत्क्षण उसके कष्ट निवारण के लिए उन्हें आना ही है।पूज्य चच्चा जी कहते थे गुरु का काम धोबी का काम है जिंदगी भर अपने शिष्य के संस्कारो का निर्मलीकरण करता रहे और उसकी कालिमा को धीरे धीरे धोता रहे।चच्चा जी महाराज ने भी ऐसा ही किया सबके संस्कारो को धोते रहे और इसी सेवाकर्म में रत रहते हुए उन्होंने महाप्रयाण किया। 
🌻*🌷*पूज्य गुरुदेव हम सब पर कृपा करे।********
🌹🌹🌹 ॐ शांति शांति शांति।🌹🌹🌹(क्रमशः)**


-  व्यवहारिक आध्यात्म  (http://www.vyavaharikaadhyatm.com/)
 


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