Like on FB

Friday, 22 July 2016

समापन भाग - श्री चच्चा चालीसा व्याख्या - सौजन्य व्यवहारिक आध्यात्म


🌻🌻🌻🌻🌻🌻
🌻***~ॐ~***🌻
🌻*श्री गुरुवे नमः*🌻
🌻*-🌷-🌷-🌷-*🌻

परम् पूज्य गुरुदेव श्री चच्चा जी महाराज पर रचित 'श्री चच्चा चरितम्'(चालीसा) श्रृंंखला के अंतिम दोहे प्रस्तुत है--
🌷🌷
"कैसहु सेवक कष्ट परै,सुमिरन उनका कीन्ह।
सकल दुखन के प्रभंजन,नासै जल बिन मीन।।
"सबकी सेवा होत रहै,निदेसहु जयदयाल।
सुसमय स्वामी कृष्ण जी,सम्प्रति कृष्णदयाल।।
"चच्चा चालीसा पढ़ै,नासै दुःख की रैन।
लखि निज पितु की सदगति,भर आवत नैन।।

🌻🌻🌻 चच्चा जी महाराज कहते थे अगर हमारा शिष्य कोई गलती करता है तो उसे सही मार्ग पर लाने के लिए किसी प्रकार की सख्ती की आवश्यकता है तो यह हमारा काम है कि उसके साथ कितनी सख्ती करनी है और कैसे राह पर लाना है लेकिन अगर तीसरे आदमी ने तिरछी निगाह करके भी देखा और इस उद्देश्य से कि उसे अनावश्यक रूप से परेशान करता है तो चच्चा जी महाराज स्वयम ऐसे व्यक्ति से अपने शिष्य की रक्षा करते है बहुत से ऐसे उदाहरण है जिन्हें लोगो ने परेशान किया अंत में जाकर उन्हें इसका दण्ड भुगतना पड़ा।

इसके बाद चच्चा जी महाराज को यह चिंता थी कि जो सेवा का सन्कल्प और पुनीत कार्य जो उन्होंने प्रारम्भ किया है वह उनके शरीर छोड़ने के बाद यथावत बना रहे।पूरी व्यवस्था कर गए है।सबसे पहले उन्होंने परम् सन्त डॉक्टर जयदयाल जी को अपना यह कार्य देखने के लिए निर्देशित किया और अपने शेष पुत्रो के लिए भी यह लिख गए है समय आने पर वह स्वयम पूर्ण प्रकाशित होंगे और आध्यात्मिक सेवा कार्य करेंगे।

वास्तव में ये सेवा का कार्य चल रहा है।पूज्य चच्चा जी महाराज के दिवतीय पुत्र श्री कृष्ण दयाल जी (पापाजी)के सम्पर्क में हम लोग है।हम लोग ये जानते है कि पूर्ण रूप से चच्चा जी महाराज की आध्यात्मिक शक्ति उनकें माध्यम से पूर्णतया क्रियाशील है जो निकटस्थ है वे इससे भलीभांति परिचित है।

अंतिम दोहा मैने(श्री ओम प्रकाश)अपने पूज्य पिता जी की स्मृति में लिखा है।पूज्य पिताजी की मृत्यु हम लोगो के लिए वास्तव में दुःख की काली रात थी।इसको चच्चा जी महाराज ने किस तरह परिवर्तित किया है इसका आभास हम लोगो के सभी पारिवारिक जनो को उन्होंने स्पष्ट रूप से दिया है जो सदगति हमारे पूज्य पिताजी को मिली वह अनुभव का विषय है।जब इस तरह के गुरुदेव की कृपा के अनुभव दूसरो को होते है तो निश्चित रूप से स्वतः प्रमाणित होते है।
अपने पूज्य पिताजी की स्मृति में मैंने इस चालीसा को समर्पित किया है।
🌻🌻🌻🌻🌻🌻
🌷🌷🌷"आज इस श्रृंखला की अंतिम प्रस्तुति है।परम् पूज्य पापाजी ने कहा कि"कोई भी साधक किसी भी धर्म या मार्ग का हो उसे इस चालीसा को अपने गुरुदेव या आराध्य के ध्यान में स्थित होकर पढ़ना चाहिए क्योकि सभी सन्त और महापुरुष ऊपर से भिन्न होते हुए भी आंतरिक रूप से एक है ।इसके पाठ से गुरुदेव के माध्यम से अमूर्त शक्ति प्रकाश के रूप में प्राप्त होती है तथा साधक के अन्तःकरण को प्रकाशित करती है जिससे आध्यात्मिक प्रक्रिया प्रारम्भ होने लगती है।"
🌻*🌷*पूज्य गुरुदेव हम सब पर कृपा करे।
🌻🌻🌻 ॐ शांति शांति शांति।🌻🌻🌻
🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹

परम् पूज्य गुरुदेव श्री चच्चा जी महाराज एवम् उनके चारो पुत्रो के फ़ोटो प्रस्तुत है–

 परम् संत सद्गुरू श्री चच्चा जी महाराज

परम् पूज्य श्री जयदयाल जी
 
 परम् पूज्य श्री कृष्णदयाल जी(पापाजी)


परम् पूज्य डॉक्टर स्वामी जी
 

 परमपूज्य डॉक्टर कृष्णा जी
🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻


Saturday, 16 July 2016

भाग - १२ - श्री चच्चा चालीसा व्याख्या - सौजन्य व्यवहारिक आध्यात्म

🌻🌻🌻🌻🌻🌻
🌻***~ॐ~***🌻
🌻*श्री गुरुवे नमः*🌻
🌻*-🌷-🌷-🌷-*🌻
परम् पूज्य गुरुदेव श्री चच्चा जी महाराज पर रचित 'श्री चच्चा चरितम्'(चालीसा) श्रंखला की आगे की चौपाई प्रस्तुत है--
🌷🌷🌷


"सबके कलिमल धोवन हारे, 
सेवारत परलोक सिधारे।"


🌻🌻🌻परम् पूज्य चच्चा जी महाराज के मार्ग की सबसे बड़ी विशेषता यही है की जिस भक्त ने उन्हें भाव से याद किया तत्क्षण वे उसके साथ हुए।अपने भक्तो के साथ उन्होंने स्वयम को भाव रूपी जंजीरो के बन्धन में जकड़ रखा है।जब भी कोई भक्त उन्हें भाव से याद करेगा तत्क्षण उसके कष्ट निवारण के लिए उन्हें आना ही है।पूज्य चच्चा जी कहते थे गुरु का काम धोबी का काम है जिंदगी भर अपने शिष्य के संस्कारो का निर्मलीकरण करता रहे और उसकी कालिमा को धीरे धीरे धोता रहे।चच्चा जी महाराज ने भी ऐसा ही किया सबके संस्कारो को धोते रहे और इसी सेवाकर्म में रत रहते हुए उन्होंने महाप्रयाण किया। 
🌻*🌷*पूज्य गुरुदेव हम सब पर कृपा करे।********
🌹🌹🌹 ॐ शांति शांति शांति।🌹🌹🌹(क्रमशः)**


-  व्यवहारिक आध्यात्म  (http://www.vyavaharikaadhyatm.com/)
 


Thursday, 14 July 2016

भाग - ११ - श्री चच्चा चालीसा व्याख्या - सौजन्य व्यवहारिक आध्यात्म

🌻🌻🌻🌻🌻🌻
🌻***~ॐ~***🌻
🌻*श्री गुरुवे नमः*🌻
🌻*-🌷-🌷-🌷-*🌻

परम् पूज्य गुरुदेव श्री चच्चा जी महाराज के जीवन चरित एवम् आध्यात्मिक कार्य प्रणाली पर आधारित 'श्री चच्चा चरितम्'(चालीसा)श्रृंखला की आगे की चौपाइया प्रस्तुत है--
🌷🌷🌷 


"कैसहु प्रभु के जानन हारे,
कृपा अहैतुक पावन हारे।
निज जन अजहूँ उन्हें अति प्यारे,
बिगरी अबहु बनावन हारे।
निज कह भाव से बाँधन हारे,
सुमिरत ही प्रभु साथ हमारे। "


 🌻🌻🌻परम् पूज्य चच्चा जी महाराज ने इस कदर आध्यात्मिक सेवा का व्रत लिया कि उनका लाभ लेने के लिए यह आवश्यक नही था कि व्यक्ति भौतिक रूप से उनके सम्पर्क में आये और दर्शन करे तभी लाभ मिलेगा ऐसा नही है केवल चर्चा में ही किसी ने चच्चा जी को सुना और अप्रत्यक्ष रूप से ही उसके मन में श्रद्धा हो गयी तो उसने भी अगर मुसीबत के समय याद किया तो चच्चा जी महाराज उसकी भी मुसीबत हल करने के लिए दौड़ पड़े ,ऐसे अनेक उदाहरण है।ये एक बहुत बड़ी विलक्षणता थी कि इतने से भी सम्पर्क पर उनसे आध्यात्मिक शक्ति का सञ्चालित होना ये दिखाता है कि वे आध्यात्मिक शक्ति के महासागर थे कि जहाँ जरा भी भाव की हलचल हुई उनकी शक्ति ने कार्य करना आरम्भ कर दिया।सबको कृपा मिली चाहे उन्हें जैसे जाना और समझा हो।जब चच्चा जी महाराज का शरीर छूट गया तब भक्तो के मन में यह विचार आया अब हमारी समस्या कौन सुनेगा कौन हमे मुसीबत से बचाएगा जो स्वभाविक था लेकिन वास्तव में ऐसी बात नही थी।चच्चा जी महाराज के यहाँ तो केवल भाव का खेल था जो अपने ख्याल में श्रद्धा भाव से उन्हें ले आया उसने लाभ उठाया।जब वे शरीर धारण किये थे उस समय उन्हें जितने अपने भक्त प्यारे थे उतने ही आज भी उन्हें अपने भक्त प्यारे है और आज भी सबकी बिगड़ी बनाते है बल्कि अब और प्रभावशाली ढंग से बिगड़ी बनाते है क्योकि तब तो शरीर की कुछ न कुछ सीमाये अवश्य रही होंगी अब तो वे सीमाये भी नही है।***********
🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻 


*🌷*हे परम् पूज्य गुरुदेव आपकी दया एवम् कृपा बनी रहे यही प्रार्थना है।**************(क्रमशः)***

  -  व्यवहारिक आध्यात्म  (http://www.vyavaharikaadhyatm.com/)



Saturday, 9 July 2016

भाग - १० - श्री चच्चा चालीसा व्याख्या - सौजन्य व्यवहारिक आध्यात्म

🌻🌻🌻🌻🌻🌻
🌻***~ॐ~***🌻
🌻*श्री गुरुवे नमः*🌻
🌻*-🌷-🌷-🌷-*🌻

परम् पूज्य गुरुदेव श्री चच्चा जी महाराज के पुत्र परम् सन्त श्री कृष्णदयाल जी (पापाजी)सत्संग एवम् सेवा को ध्येय बनाते हुए उनके बताये हुए मार्ग पर चलते हुए सबका मार्ग दर्शन करते रहे।पूज्य पापाजी की प्रेरणा एवम् उनके संरक्षकत्व में श्री ओम प्रकाश श्रीवास्तव जी ने 'चच्चा चरितम्' (चालीसा) की रचना की जिसमे उन्होंने बहुत सुंदर सरल एवम् मार्मिक शब्दों में पूज्य चच्चा जी महाराज के दर्शन की विवेचना की है।यह कृति गुरुदेव की विशेष कृपा से ही सम्भव हो पायी है।पिछले कुछ दिनों से इस विशिष्ट एवम् महत्वपूर्ण कृति 'श्री चच्चा चरितम्' की व्याख्या सहित प्रस्तुति की जा रही है उसी श्रृंखला में अब आगे की चौपाइया प्रस्तुत है-
🌷🌷🌷

"तब लाला प्रबोध अस कीन्हा,
सकल रहस्य सुबोध कर दीन्हा।
मत समझहु तुम करिहहु भाई,
सोच सोच वृथा अकुलाई।
जे तुम्ह तनिकउ प्रीति करिहे,
तिनकी रखवारी हम करिहै।
तब तै पर दुःख हरन मगन भये,
सुमिरत सेवक नष्ट भये।
🌻🌻🌻 

परम् पूज्य चच्चा जी महाराज के अंतर्मन की स्थिति का आकलन करने के बाद पूज्य लालाजी महाराज ने उनसे कहा-अरे यह तुम क्या कह रहे हो।लालाजी महाराज ने इस मार्ग की आध्यत्मिक क्रियाविधि को पुनः चच्चा जी के सामने स्पष्ट करते हुए कहा कि जो तुमको जरा भी चाह ले,जरा भी सम्पर्क करेगा,जरा भी स्मरण करेगा उसकी चौकीदारी मै करूँगा।बहुत बड़ी बात है।पूज्य चच्चा जी एवम् पूज्य लालाजी महाराज के मार्ग की यह सबसे बड़ी विशेषता है कि जिसने ख्याल मात्र से उनसे सम्पर्क कर लिया बस उसका सारा जीवन उनका हो गया और जब कोई विशेष परिस्थिति आएगी या ऐसे कोई संस्कार होंगे जिन्हें काटा न जा सके तो अंत में गुरुदेव उन संस्कारो को उसके जीवन के उस भाग को स्वयम अपने ऊपर ले कर भोग लेंगे।यह एक बहुत बड़ी बात है।इसलिए कहा गया है कि इस मार्ग में शिष्य को कुछ नही करना है ।इतना स्पष्ट आश्वासन मिलने के बाद पूज्य चच्चा जी महाराज ने बड़े मनोयोग से बड़े समर्पण के साथ आध्यात्मिक सेवा प्रारम्भ की।बल्कि यह कहा जाये की उन्होंने परपीड़ा निवारण एवम् पर दुःख कातरता से प्रेरित होकर उसमे डूबकर आध्यात्मिकता को लुटाना शुरू किया।जीवन के प्रत्येक क्षण एक ही उद्देश्य रहा कि कैसे दूसरे की पीड़ा को दूर किया जाये।सबका यही विश्वास है की मुसीबत आई चच्चा जी महाराज से कहा फिर मुसीबत जाने चच्चा जी जाने।पूज्य चच्चा जी महाराज के सुमिरन मात्र से भक्तो के कष्ट मिटने लगे क्योकि सुमिरन केवल एकपक्षीय नही था।एक पक्ष में भक्त का सुमिरन और दूसरे पक्ष में चच्चा जी महाराज का अनुश्रवण था।सुमिरन करने वाले ने उनका ख्याल किया आध्यात्मिक प्रक्रिया पूरी हुई।जिसने सुमिरन किया उसका कष्ट कटा।"************🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻 
🌷*परम् पूज्य गुरुदेव के श्री चरणों में हम सबका कोटि कोटि प्रणाम।🌻🌻🌻🌻🌻(क्रमशः)******

 -  व्यवहारिक आध्यात्म  (http://www.vyavaharikaadhyatm.com/)