





















रामायण में भी श्री तुलसीदास जी ने कहा है–


इस पर एक किस्सा फरमाया कि एक राजा मकरध्वज थे जो बहुत भक्त आदमी थे और साधू सन्तों की बड़ी सेवा किया करते थे उनकी रानी भी ऐसी थी। और उनके एक लड़का था।
एक समय की बात है कि चार लुटेरो ने सोचा कि चलकर राजा के यहाँ चोरी करनी चाहिए। लिहाजा उन्होंने साधुओ का वेश धारण किया और महाराज के महलो में पहुँचे। जब राजा को पता चला कि कुछ साधू लोग आये है तो वह उनको अपने महल के अंदर ले गया और रानी समेत उनकी सेवा करने लगा। इस तरह से चार छः दिन बीत गए।"
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..........(क्रमशः)
एक समय की बात है कि चार लुटेरो ने सोचा कि चलकर राजा के यहाँ चोरी करनी चाहिए। लिहाजा उन्होंने साधुओ का वेश धारण किया और महाराज के महलो में पहुँचे। जब राजा को पता चला कि कुछ साधू लोग आये है तो वह उनको अपने महल के अंदर ले गया और रानी समेत उनकी सेवा करने लगा। इस तरह से चार छः दिन बीत गए।"

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