






















हे ईश्वर तू बड़ा कृपालु और दयालु है उस आदमी के अपराधों को क्षमा कर। मुमकिन है उससे अपनी जान में या अनजाने में कोई गलती हो गई हो क्योंकि वह भी तेरी माया में फंसा हुआ था।
इस तरह पहले ईश्वर से प्रार्थना करते रहना चाहिए। और जब यह महसूस हो कि यह प्रार्थना कबूल हो गई है तब फिर ईश्वर से प्रार्थना करना चाहिए कि-
आप उस आदमी को हुक्म दें कि वह मुझको अगर मुझसे कोई गलती हो गई हो तो क्षमा करें।
इसके बाद फिर ईश्वर से प्रार्थना करनी चाहिए कि अगर मुझसे या उससे कोई गलती हो गई हो तो उसको आप क्षमा करें क्योंकि गलती वगैरह सब ईश्वर के सामने हुआ करती है।
और हम में और उसमें दोनों में ईश्वर व्यापक हैं इस वास्ते बिना ईश्वर के हुक्म के हम और वह कोई भी क्षमा नहीं कर सकते हैं।
और अगर ईश्वर का हुक्म हो गया तो हम और वह मजबूर हैं कि आपस में क्षमा कर दें।
प्रार्थना इतनी होनी चाहिए कि जब जब उसका ख्याल हमारे दिल में आए तो हम को फौरन उसके वास्ते प्रार्थना करनी चाहिए।
प्रार्थना से हृदय साफ होता है शांति मिलती है और माया मोह का वेग कम हो जाता है। लिहाजा हर आदमी का फर्ज है कि वह प्रार्थना किया करें।


















