















"यह प्रेम सदा भरपूर रहे,
गुरुदेव तुम्हारे चरणों में।
यह अरज मेरी मंजूर रहे,
गुरुदेव तुम्हारे चरणों में।
यह प्रेम.....
निज जीवन की यह डोर प्रभु,
सौपी है दयाकर इसको गहो।
उद्धार करो यह दास खड़ा,
गुरुदेव तुम्हारे चरणों में।
यह प्रेम.........................................
गुरुदेव तुम्हारे चरणों में।
यह अरज मेरी मंजूर रहे,
गुरुदेव तुम्हारे चरणों में।
यह प्रेम.....
निज जीवन की यह डोर प्रभु,
सौपी है दयाकर इसको गहो।
उद्धार करो यह दास खड़ा,
गुरुदेव तुम्हारे चरणों में।
यह प्रेम.........................................


















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