





















यह हमारा काम है कि हमको किस लाइन पर काम सीखना है हम वैसे ही महात्मा के पास जाये।अगर ज्ञान मार्ग सीखना है तो वैसे महात्मा के पास जाये अगर भक्ति मार्ग सीखना है तो वैसे महात्मा के पास जाये।
भक्ति के यह माने नही है कि हमने सुबह शाम ठाकुर जी की पूजा की भोग वगैरह लगाया।भक्ति के यह माने है कि हम सब संसार को ईश्वरमय देखे और हम दास हो करके सबकी सेवा करे इसको भक्ति कहते है..................(क्रमशः)"




















